पौराणिक पृष्ठभूमि
भारत के प्राचीनतम राजवंशों में से एक प्रमुख राजवंश है ‘कलचुरि वंश’ जिसका पौराणिक, पुरातात्विक ऐासिक आधार विद्यमान है। इतिहास जानने के पारम्परिक स्वत साहित्य ताम्रपत्र, शिलालेख पुरातात्विक और दस्तावेज परम्परा व धार्मिक आस्था के साथ वैज्ञानिक तकनीक के अनुवाकोट (डीएनए) के द्वारा अनुसंधान एवं अध्ययन से हैहय क्षत्रिय कलचुरि वंश को प्राचीनता एवं सांस्कृतिक हो चुकी है। मानव सभ्यता के विकास क्रम में कलचुरि वंश की भूमिका व महता को जानने के लिए इसको पौराणिक पृष्ठभूमि का अवलोकन आवश्यक है।

विभिन्न ग्रन्थों में कलचुरियों को हैहय वंशी चक्रवर्ती सम्राट राजराजेश्वर महर्जुन का है, जिनको पुराणों में आख्यापित है। पौराणिक व अन्य ग्रन्थों में श्री सहस्रार्जुन व उनके पुत्रों का जितना हैन अन्य किसी सम्राट का नहीं मिलता। श्री सहार्जुन के वंशजों ने हजारों वर्ष तक भारत के अन्य भू-भागों पर राज्य किया है, इसलिए श्री महान को अपना आराध्य देव मानने वाले केवल भारत में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में कलचुरि व अन्य वंश के करोड़ों लोग हैं, जिनमें हिन्दू सिख ईसाई व जैन धर्म को मानने वाली भी है। कलचुरियों द्वारा श्री महलार्जुन आदिदेव व कुलदेवता के रूप में श्रद्धापूर्वक पूजे जाते हैं।