श्री कार्तवीर्यार्जुन की स्तुति-आरती

ॐ जय कार्तवीर्य हरे, ॐ जय महावीर्य हरे।

हम भक्तों के कष्ट प्रभु, हर पल दूर करे ।।ॐ जय ।।

कार्तिक सुदी सप्तमी पर वसुंधरा धन्य तरे।

विष्णु कृपा से चक्र सुदर्शन, कार्तवीर्य रूप धरे ॥ ॐ जय ।।

दस वर दिन्ही गुरूदत्ता, सहस्त्र भुजा धरे।

क्षात्र धर्म की दीक्षा लेकर, जन कल्याण करे | ॐ जय ॥

अष्ठ सिद्धी नव निधी के ज्ञाता, बीज मंत्र धरे।

सप्तदीप जीत कर प्रभुजी, अश्वमेघ यज्ञ करे ।। ऊँ जय ।।

लंकापति रावण का, अभिमान चूर करे।

बंदीगृह में शीश पर दस दीप धरे ॥ॐ जय ।।

गदा, त्रिशूल, धर्नुधारी, रक्तांबर तन धरे।

अक्षत, चंदन, पुष्पचढ़ावे, घृत का दीप जरे । ॐ जय ।।

वेद पुराण में यश गाथा, नारद गान करे।

सुख संपत्ति फल पावे, जो नित्य ध्यान धरें । ॐ जय ॥

दीन बंधु दुःखहारी, तुमसे विनय करे।

सुर नर मुनि भगत करे आरती, सबकी विपदा हरे ।। ॐ जय ।।

ॐ जय कार्तवीर्य हरे, ॐ जय महावीर्य हरे ।

हम भक्तों के कष्ट प्रभु, हर पल दूर करें ।। ऊँ जय ।।

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